रक्षक (भाग : 11)
रक्षक भाग : 11
धरती
स्थान - अभयनगर
राज अभी छत पर गया हुआ होता है, सुबह के नौ बजे गए होते थे जिससे सूरज धीरे धीरे पहाड़ो के पार से चढ़ते हुए ऊपर आ रहा था। तभी वह लड़की भी अपने छत पर आती है जो कि राज के छत से बस थोड़ी दूर है, वो छत की रेलिंग से कोहनी टिकाकर राज को देखने लगती है, राज भी उसे देखकर मुस्कुरा देता है।
"हाय" - राज मुस्कुराते हुए बोला
"मुझे तुमसे बात नही करनी, जाओ आज भी भाग जाओ" - वो लड़की गुस्से से बोली।
"अभी आदत नही गयी तुम्हारी" - राज मुस्कुराकर बोला।
"ओह्ह! मेरी आदत नही गयी, कौन सी आदत?
और तुम मुझे पहचान भी न सके?" - वो मुँह बिचकाकर बोली।
"नही यार! पहचान गया था।" - राज बोला।
"तुम मुझे देखते ही भाग गए थे, क्या मैं तुम्हे इतनी डरावनी लगती हूँ हुहः!" - वो लड़की बोली।
इतने में पूजा आ जाती है और राज के पीछे खड़ी हो जाती है, वो लड़की इशारा करती है पर राज समझ नही पाता।
"ओह्ह तो जनाब जानते हैं इन मोहतरमा को" - पूजा टोंट मारते हुए बोली " बताया नही मुझे की जानते हो इन्हें!"
"यार! तुम ध्यान से देखो तुम भी पहचान जाओगी।" - राज पूजा का मुँह पकड़कर स्थिर कर देता है, पूजा बहुत ध्यान से देखती है फिर भी उसे कुछ समझ नही आता।
"कुछ समझ नही आ रहा, तुम दोनों में से कोई कुछ बताएगा"- पूजा पैर फटकारते हुए बोली।
"अरे ये राधा है!"
"कौन राधा?" चौंकते हुए पूजा बोली। "मैं किसी राधा को नही जानती, कृष्ण वाली को छोड़कर और जहां तक मैं जानती हूँ ये कम से कम ये राधा नही हो सकती।"
"ओफ्फो…! उसके लॉकेट को ध्यान से देखो" - राज उसके गले मे पहने हुए लॉकेट को दिखाकर कहता है।
"ओह्ह माय गॉड! ऐसा लॉकेट तो तुम्हारे पास भी था" - पूजा चौंकते हुए बोली, "कहा गया? कही गिरा दिया होगा प्रोफेसर अंकल की आखिरी निशानी थी वो।"
"शायद गिर गया हो, पर प्रोफेसर अंकल की आखिरी निशानी ये है।" राज उस लड़की की तरफ इशारा करके बोला।
"क्या रीमा!" - उछलते हुए पूजा बोली।
"हाँ यार रीमा ही हूँ, कब से ऐसे उछल रही जैसे मैं कोई अजनबी होऊँ" - वो लड़की जिसका नाम रीमा था वह अब भी नाराजगी जाहिर कर रही थी।
"यार इतना बदल गयी हो, और हमे पता भी नही था इस बारे में कुछ, वैसे तुम घर क्यों नही आई?, अभी पापा आये है घर आती तो पहचान लेते हम तुमको" - सवालों की झड़ी लगा दी थी पूजा ने।
"पर मैं तो अपने कान्हा के लिए आई थी, घर जाकर क्या करती जब यही नही पहचानता।" - रीमा बोली।
"इन दोनों की तो…….." पूजा जबड़े भींचकर बोली "खुद का नाम नही है जो राधा कृष्ण को बदनाम करते फिर रहे हो।"
"हाहाहा… पता है न प्रोफेसर अंकल क्या कहते थे!"
"लेकिन वो छोड़कर चले गए हमें, छोटे प्रोफेसर अंकल ने कहा कि रीमा भी उनके हत्यारो के हाथों बलि चढ़ गई, तब से …" - राज प्रोफेसर अंकल को याद करके थोड़ा उदास हो गया।
"तब से तुम देवदास बने बैठे हो, मुझे पता है। पर रीमा हम तुम्हारे परिवार जैसे ही हैं, तुम हमारे पास आ सकती थी, अपने परिवार को भूल गयी तुम।" - पूजा रीमा से मुखातिब होकर बोली।
"जिसके पीछे दुनिया की सबसे बड़ी टेररिस्ट आर्गेनाईजेशन लगी हो वो किसी के पास जाकर उनकी मुसीबत क्यों बढ़ाएगा?" - रीमा बोली।
फिर हज़ारो सवाल जवाब, तीनो अपनी अपनी जगह सही थे, पूजा के आँखों से आँसू भर आये थे जिन्हें वो छिपाने की कोशिश कर रही थी।
"हम्म! सारी बाते यहीं करना है क्या?" राज बोला "पापा आये हैं नीचे आओ पापा से मिलते हैं।"
रीमा ओके बोलकर सीढ़ियों की ओर जाने लगी, तीनो की आँखों मे नमी थी, पर जैसे प्यासे को पानी देखकर सुकून आता है वैसे ही राज आज बहुत चहक रहा था।
------------------
ज़ेडोर ग्रह पर
युद्धक्षेत्र में
पूरा का पूरा पासा ही पलट गया था। undead न खुद को राज के हाथों मरने के लिए समर्पित कर दिया था,पर वो भूल रहा था कि वह कोई मामूली जीव नही एक ब्रह्मशक्तिधारक है।
"मुझे मार डालो रक्षक!" - undead ने फिर दोहराया, लेकिन राज हतप्रभ था कि ये इतनी आसानी से कैसे मान गया।
"मुझे मार डालो रक्षक वरना मैं तुम्हे मारने पर मजबूर हो जाऊंगा हाहाहा…." - जोरदार ठहाके लगाने लगा undead इसके साथ ही उसकी त्वचा और काली होने लगी।
"उफ्फ.. इसपर काली शक्तियां फिर हावी हो रही हैं, मैं चाहता था कि इसे एक बार फिर सच्चाई के लिए लड़ा सकूँ, पर अब यह असम्भव सा लग रहा है, अंधेरे ने इसके प्राण ऊर्जा पर नियंत्रण कर लिया है। शायद अब कोई और रास्ता नही है.. - रक्षक सब सोच रहा था तभी उसकी सोच को झटका लगा undead ने पुनः युध्द आरंभ कर दिया था।
"मुझे बचा लो रक्षक!" Undead बोला "तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे सामने घुटने टेक दूंगा हाहाहा.. खुद को बहुत बड़ा रक्षक समझने लगा है तू, नाम रक्षक होने से कोई रक्षक नही बन जाता हाहाहा …." Undead की ही आवाज पर ये उससे थोड़ी अलग थी, आखिर हो क्या रहा है यहां पर रक्षक अब खुद ही नही समझ पा रहा था।
"मैं हमेशा सत्य का रक्षक था, अंधेरे ने मुझे धोखा दिया, अपना गुलाम बना लिया" undead सुबकते हुए बोला। "तुम्हे क्या लगता है मैं ये सब बोलूंगा हाहाहा… तुमने undead को समझा क्या है?, मैं सिर्फ undead हूँ कोई अनद नही।" दुबारा undead के गले से ही एक अलग आवाज उभरी।
कहते हुए undead उसपर अपने दोनों हाथ जोड़कर उर्जावार से प्रहार कर दिया, जिसे यूनिक ने देख लिया और एक छोटा सा क्यूब फेंककर वहाँ पर शील्ड बना दिया।
"भिड़ू लड़ाई में ध्यान कही और नही ले जाने का, सिर्फ लड़ाई पे रखने का, क्या समझा रक्षक भिड़ू!" - यूनिक बोला, पर उसको शील्ड बनाने में देर हो गयी थी।
undead अपनी सारी ऊर्जा का प्रयोग कर रहा था और रक्षक ने उसे रोकने की कोशिश भी न की, उसका घाव धीरे धीरे भर रहा था पर undead ने उसके उठने से पहले ही अपने हाथ को नुकीले औजार में बदलकर रक्षक के सीने पर वार करता है, जिसे यूनिक देख लेता है और अपने हाथ को बड़ाकर उसे रोकने की कोशिश भी करता है। यूनिक कितना भी ताकतवर था पर वह undead की सारी शक्तियों को संभाल सकने में असक्षम था। undead का हाथ रक्षक के सीने से सट चुका था, एक पल में वो अपना नुकीला हाथ उसके आर पार कर देता, पर शायद कही न कही undead खुद भी खुद का विरोध कर रहा था।
अब यूनिक बाकी सबको छोड़कर undead के पास आ चुका था, उसे यह देखकर अच्छा नही लग रहा था। वह undead के हाथों को पकड़कर वहां से दूर फेंक देता है, और रक्षक के जख्म पर दवा लगाने जाता है पर वो घाव अपने आप भर रहे थे, यूनिक एक जोरदार उछाल लेकर undead पर कूदा, पर undead अब तैयार था, वह अपने जगह से हटकर यूनिक का हाथ पकड़कर धोबीपछाड़ दे मारा, अब यूनिक को undead की ताकत का एहसास हुआ जो केवल एक हाथ से उसे उठाकर फेंक सकता है वो कितना ताकतवर होगा..
यूनिक अपने लाइव मेटल के बने अंगों को जमीन पर फैलाकर उसे जकड़ना चाहा पर undead उसकी चालो
को समझ गया था, यूनिक जो हज़ारो पर भारी पड़ सकता था, आज एक के हाथों पीट रहा था।
अब undead की आँखे एकदम काली हो चुकी थी, शरीर से काली विकिरणों का प्रवाह होने लगा, अब undead के शरीर में अंधेरा बहुत ज्यादा शक्तिशाली हो चुका था उसने उस विरोध को निपटा दिया जिसमें अनद खुद को मारने की इच्छा रखता था।
Undead जमीन से ऊपर उठने लगा, उसने यूनिक पर एक उर्जावार किया जिसे यूनिक अपनी शील्ड से रोकने की कोशिश किया पर एक ही वार में उसकी शील्ड चटक गयी।
रक्षक अब उठ चुका था, उसकी आँखें श्वेत थी, उसके अंदर कोई गुस्सा, कोई नफरत कोई बुराई नही थी, वो अपने हर बुरे ख्याल से लड़कर जीतकर आया था, क्योंकि आज भी वो खुद से नही जीत पाता तो दूसरों की रक्षा कैसे करता। वो रक्षक है उसका काम रक्षा करना है चाहे वो कोई भी हो।
Undead ने रक्षक पर शक्तिशाली किरणों से वार किया, जिसे रक्षक ने अपने दोनों हाथों को क्रॉस बनाकर रोक लिया, साथ ही वो शक्तियां रक्षक के अंदर समा गई।
Undead धीरे धीरे नीचे उतरने लगा, वह भी आज जैसे रक्षक के बजाए खुद से ही लड़ रहा था, पर उसने जो वजूद चुना उससे छूट पाना असंभव था।
"ये मैं नही हूँ र..रक्षक! तुम समझ रहे हो न, मुझे कोई और नियंत्रित कर रहा है।" - undead बोला उसके चेहरे पर विचलित भाव थे।
"ओह्ह यानी …"
"अब समझा मैं अंधेरे के बेटे ने तुम्हे रात में भेजा क्योंकि रात में सिर्फ तुम्हारी नही उसकी शक्तियां भी चरम पर होंगी, और वो आज भी तुम्हारा उपयोग ही कर रहा है।" - रक्षक चिंतित स्वर में बोला। "पर तुम एक ब्रह्मशक्ति धारक हो तुमने कभी कोशिश क्यों नही की जानने की?"
"यह बात मुझे अभी पता चली है रक्षक! तुम मुझे मार डालो, मैं अब और पाप नही कर सकता मुझे अपने अवि और उपमा के पास जाना है।" undead गिड़गिड़ाते हुए बोला।
"पर मैं तुम्हे मारूं कैसे? तुम्हारे पास ब्रह्मशक्ति है ब्रह्मांड की सबसे सर्वश्रेष्ठ शक्ति, तुम अंधेरे को हरा सकते हो" - रक्षक उम्मीद भरे स्वर में बोला।
"अब बहुत देर हो चुकी है रक्षक! और तुम्हारी शक्ति तुम्हारे पास है क्योंकि मुझे शरीर के भीतर के हथियार मार सकते हैं।" - undead बोला
"शरीर के भीतर हथियार?? क्या कह रहे हो तुम, क्या कहना चाहते हो तुम!" - रक्षक ने बहुत आश्चर्यचकित होकर पूछा।
पर undead जवाब देने के बजाए उसपर ठोस उर्जाकिरणो से हमला कर दिया, रक्षक ने बचने की बहुत कोशिश की पर रात में अंधेरा अपने चरम पर होता है।
रक्षक तीसरी बार अपने सीने से लहू निकलते देख रहा था, उसे पोंछ कर ऊपर उछलता है और हवा में खड़े undead को जोरदार घुसा मारकर जमीन पर ला पटकता है।
"अपनी लहू शक्तियों को जगाओ रक्षक! आज तुम्हे ये करना ही होगा, आज मुझे भी अंधेरे से बाहर आना है तुम्हे मेरे लिए न सही मेरे पत्नी और बच्चे मेरी दुनिया के लिए करना होगा, मुझे अंधेरे से मुक्ति दिलाओ जिससे मैं उस दूसरी दुनिया मे अपने पत्नी और बच्चे से आँखे मिला सकूँ!" - undead रक्षक को जोर देते हुए बोला उसके आँखों मे आँसू आ गए थे त्वचा फिर हल्की नीली होने लगी थी।
रक्षक अपने उन शक्तियों का स्मरण करने लगा जिनके बारे में वह जानता तक नही था, अचानक वह दर्द से कराह उठा उसके रीढ़ की हड्डी से एक नई चीज बन रही थी, एक हथियार, एक तलवार…
चमकती हुई एक विशेष हथियार का निर्माण जो राज की हड्डियों से निकल रहा था, ऐसे लग रहा था जैसे रात में एक पल के लिए सूर्य निकल आया हो।
रक्षक और सब यह देखकर हैरान थे पर undead बहुत खुश था 4J, अंश, जयन्त, स्कन्ध और बाकी सब undead के बारे में और ऐसा ऐसा व्यवहार देखकर भावुक थे, बाकी के सारे राक्षस मारे जा चुके थे।
"इसलिए मैंने तुम्हारी छाती वार किया, ये हथियार शुद्ध लहू को लेकर एक लहू द्वारा स्मरणित किये जाने पर ही आता, यह विशेष हथियार कुछ भी करने में सक्षम है।" - undead बोला। "अब अपना काम करो रक्षक यह शक्ति तुम्हारे अलावा किसी के पास नही है और जिसके पास है वो इस आकाशगंगा से बाहर ही है।"
"लेकिन अब मैं तुमपर प्रहार कैसे करूँ, ये मुझसे नही हो सकेगा, तुमने सारे बुरे काम अंधेरे के वश में आकर किया है, मैं किसी निर्दोष को नही मार सकता।" - रक्षक भी थोड़ा भावुक हो चुका था, उसके हाथ मे वो विशेष तलवार थी पर वह अब undead को मारना नही चाहता था।
"तुम्हे ये करना ही होगा रक्षक आज अनद, undead पर भारी है कल शायद ऐसा न हो फिर अरबो निर्दोषों की मौत के ज़िम्मेदार सिर्फ तुम होंगे।" - undead बोला " मैं चाहकर भी इस चीज से बाहर नही निकल सकता, मुझे माफ़ करना रक्षक!" इतना कहते ही वो किसी के कुछ कर पाने से पहले रक्षक के हाथ को पकडकर उसकी विशेष तलवार अपने सीने के आर-पार कर लेता है, पर मरते हुए भी वो मुस्कुरा रहा था, और रक्षक के हाथों में कुछ दे कर वह लुढ़क गया, उसके साँसे बन्द हो गयी, एक ब्रह्मशक्तिधारक मारा गया, पता नही इसका क्या असर होगा। पर इस बार उसके छाती से निकला लहू नीला था, यानी वो काली शक्तियों से मुक्त हो गया।
युद्ध जीत जाने के बाद भी रक्षक और उसके साथियों को सिर्फ अफसोस था। वो चाहकर भी कुछ नही कर सके, सैकड़ो साल निर्दोषों को मारने के बाद भी undead कही न कही अनद ही था, और उसे जब ये एहसास हुआ तो खुद को नही रोक पाया और ऐसा कदम उठा लिया।
सब गुमसुम थे, कोई किसी से बात नही कर रहा था। अब फिर सुबह होने को थी। दिन रात की लगातार लड़ाई ने सभी को थोड़ा सा थका दिया था। देखते हैं आज युद्धभूमि में कौन आएगा…।
क्रमशः...
Hayati ansari
29-Nov-2021 09:56 AM
Nice
Reply
Niraj Pandey
08-Oct-2021 04:42 PM
वाह बहुत ही बेहतरीन
Reply
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 12:13 PM
बहुत सुंदर भाग
Reply